सीबीएसई बोर्ड के दो पेपर लीक होने का मामला अब गंभीर हो गया है. देश और विदेशों में सीबीएसई के स्कूलों में पढ़ने वाले 18 लाख से ज्यादा बच्चों का भविष्य दांव पर है. पेपर लीक करने में बच्चों का कोई हाथ नहीं है, फिर भी सज़ा उन्हें ही भुगतनी पड़ रही है. इसी बात से दसवीं और बारहवीं के स्टूडेंट्स गुस्से में हैं. जिन बच्चों का अभी तक छात्रसंघ की राजनीति से भी वास्ता नहीं है, वो सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं. सीबीएसई बोर्ड की बारहवीं क्लास का इकोनॉमिक्स का पेपर लीक होने की खबर 26 मार्च को ही आ गई थी. तब सीबीएसई बोर्ड पेपर लीक होने की खबरों को गलत बता रहा था. फिर 28 मार्च को दसवीं क्लास के गणित का पेपर भी लीक हो गया. इसके बाद सीबीएसई बोर्ड हरकत में आया. दसवीं के गणित और बारहवीं के अर्थशास्त्र की परीक्षा रद्द कर दी गई, जिससे छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा. फिलहाल सीबीएसई बोर्ड ने दोबारा परीक्षा की तारीख नहीं बताई है. सिर्फ इतना कहा गया है कि हफ्ते भर में तारीख बता दी जाएगी. सीबीएसई बोर्ड की ओर से पेपर लीक मामले में एफआईआर दर्ज करा दी गई है. पेपर लीक करने का शक दिल्ली के राजेंद्र नगर में कोचिंग सेंटर चलाने वाले विक्की नाम के शख्स पर है. दिल्ली पुलिस ने अब तक 25 लोगों से पूछताछ की है. इनमें कई स्टूडेंट्स भी हैं, जिन्होंने पुलिस को बताया है कि उन्हें पेपर व्हाट्स एप पर मिले थे. पेपर लीक होने और परीक्षा रद्द करने के खिलाफ पूरे देश में छात्र और उनके अभिभावक प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका सीधा सा सवाल है कि पेपर लीक होने में बच्चों का क्या दोष? किसी और के गुनाह और सीबीएसई बोर्ड के सिस्टम में खोट की सजा बच्चों को क्यों दी जा रही है?
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