राजनीति में लाभ के पद की तलवार सोनिया गांधी, जया बच्चन और अमर सिंह तक चल चुकी है । इसके वार से राजनीति के बड़े-बड़े दिग्गजों की सदस्यता नहीं बची । अब लाभ के पद के चक्कर में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता खत्म हुई है, जिसे बचाने के लिए वो अदालत की शरण में हैं.
केजरीवाल सरकार ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था । इस फैसले के खिलाफ प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति को शिकायत की, जिसकी जांच चुनाव आयोग को सौंप दी गई । चुनाव आयोग ने 19 जनवरी को 20 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की थी । उसी दिन आम आदमी पार्टी के विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जिस पर आज सुनवाई होनी थी । इस बीच 21 जनवरी को राष्ट्रपति के आदेश पर बीसों विधायकों की सदस्यता खत्म करने की अधिसूचना जारी कर दी गई । चुनाव आयोग ने ये जानकारी हाईकोर्ट को दी तो विधायकों की याचिका बेमानी मान ली गई । अब अयोग्य घोषित हो चुके आम आदमी पार्टी के विधायकों के पास नए सिरे से याचिका दाखिल करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है.
चुनाव आयोग की सिफारिश और राष्ट्रपति के आदेश पर भी अब दिल्ली में राजनीति चरम पर है । आम आदमी पार्टी आरोप लगा रही है कि चुनाव आयोग और राष्ट्रपति को मोदी सरकार ने रबर स्टैंप की तरह इस्तेमाल किया । दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज खुला पत्र लिखकर आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को तंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । अब केंद्र सरकार दिल्ली को 20 सीटों पर उपचुनाव के लिए धकेल रही है.
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