राजनीति में त्याग करने से भी बहुत कुछ हासिल होता है। 2004 में सोनिया गांधी ने पीएम की कुर्सी का त्याग किया था, बदले में यूपीए 10 साल तक सत्ता में रही और सोनिया गांधी यूपीए का केंद्र बिंदु बन गईं। अब मोदी विरोधी मोर्चा की कवायद चल रही है और इसके लिए भी त्याग की बातें शुरू हो गई हैं। यूपी में इस साल हुए चार उपचुनावों में बीएसपी की मदद से अखिलेश यादव ने बीजेपी को हराया है। उपचुनावों के दौरान ही अखिलेश यादव ने साफ कर दिया कि वो बीएसपी के साथ भरोसे का गठबंधन बनाने वाले हैं। वहीं अखिलेश की सक्रियता देखकर उनके दोस्त राहुल गांधी भी एक्शन में हैं। राहुल यूपी के बाहर क्षेत्रीय छत्रपों को मोदी के खिलाफ एकजुट करने में जुटे हैं। हाल ही में उन्होंने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से बातचीत की है। राहुल गांधी की मुलाकातों का नतीजा अभी सामने आना बाकी है, लेकिन अखिलेश यादव अपने वादे पर डटे हुए हैं। वो बीएसपी के साथ विनिंग कॉम्बिनेशन को मजबूती देने के लिए त्याग करने को भी तैयार हैं। एनडीए में हाल के दिनों में फूट और नाराजगी तेज़ हुई है। ऐसे में विपक्ष को लग रहा है कि एनडीए से नाराज दलों को अगर एकजुट कर लिया जाए, तो 2019 में मोदी को हराया जा सकता है। हालांकि बीजेपी को अभी भी यही लग रहा है कि मोदी विरोधी मोर्चा कामयाब नहीं होगा.
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