_मन मानिक लहर समुंद्र रे।मोती मुक्ता दर्शित न ही_ये जग है सब अंध रे।सद्गुरु रामपाल जी महाराज।मन मानिक लहर समुंद्र रे।मोती मुक्ता दर्शित नही।ये जग है सब अंध रे।बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज।सत कबीर।सत भक्ति।
पारिब्रम्ह परमेश्वर सदगुरु रामपाल जी भगवान