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  • 8 years ago
जमालपुर रेल कारखाना के स्थापना के साथ वहां के कर्मचारियों के लिए चलने वाली श्रमिक ट्रेन मंगलवार से इतिहास बन गयी। मंगलवार की शाम 6.25 बजे यह ट्रेन कारखाना के कर्मचारियों को लेकर अपनी अंतिम सफर पर निकली। इस लेटलतीफ ट्रेन से घर जाने वाले करखनिया यात्रियों को आज समय पर घर पहुचने की नहीं दूसरे दिन से ड्यूटी आने की चिंता थी। क्योंकि रेलवे बोर्ड के निर्णय के अनुसार लगभग 156 साल से चल रही इस ट्रेन की सेवा 1 नवंबर से बंद कर दी गई है।
कारखाना के पुराने कर्मचारियों के अनुसार 8 फरवरी 1862 में जमालपुर रेल कारखाना की स्थापना के समय से ही इस ट्रेन का परिचालन हो रहा है। जमालपुर रेल कारखाना का निर्माण तब हुआ था जब पूर्वी भारत में ईस्ट इंडियन कंपनी रेलवे का विस्तार कर रही थी। लिहाजा रेलवे बोर्ड के फैसले से सिर्फ एक ट्रेन की सेवा ही बंद नहीं हुई बल्कि बिहार के साथ साथ पूर्वी भारत में रेलवे के विकास की एक जीवंत निशानी हमेशा के लिए इतिहास बन गई है। रेल कारखाना के कर्मचारियों का दबाव है कि इस ट्रेन की सेवा जारी रखी जाय या इसी समय में दूसरी पैसेंजर ट्रेन दी जाय जिसमें टोकन पास मान्य हो। डीआरएम मोहित सिन्हा ने बताया कि अब कारखाना में कर्मचारियों की संख्या महज 518 रह गई है। इतने कर्मचारियों के लिए दो-दो ट्रेन चलाना निश्चित रूप से रेलवे के लिए नुकसान था। इसलिए बोर्ड ने यह निर्णय लिया है। इसपर विमर्श हो रहा है कि श्रमिक ट्रेन के समय के आसपास चलने वाली दूसरी पैसेंजर ट्रेन का उन जगहों पर स्टॉपेज दिया जाय जहां श्रमिक ट्रेन रुकती थी।

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