रावण क्यों नहीं हार रहा था, राम ने क्या अर्जित किया, सुनें एक कविता की कहानी

  • 2 years ago
कल रामनवमीं यानी भगवान राम का प्राकट्योत्सव है। राम मर्यादा, औदार्य, औदात्य और शील सिखाते हैं। सीमित को असीमित कैसे बनाना है, ये राम सिखाते हैं। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने राम पर लंबी कविता लिखी है। कविता का नाम है- राम की शक्तिपूजा। कविता में राम एक अलग रूप में दिखते हैं। इसमें राम-रावण युद्ध का वर्णन है।

युद्ध की शुरुआत में रावण ज्यादा शक्तिशाली दिखता है। राम संशय में हैं कि सीता का उद्धार कैसे करेंगे? विभीषण उन्हें स्थिर रहने को कहते हैं। जामवंत कहते है- राम आप शक्ति की उपासना करें। जब तक शक्ति ना मिले, युद्ध ना करें। राम पर्वत को देवी मानकर पूजा करते हैं। राम को देवी को 108 फूल चढ़ाने हैं। राम देवी को 107 फूल अर्पित कर चुके हैं। देवी परीक्षा करने के लिए 108वां फूल लेकर चली जाती हैं।

राम फिर परेशान हो जाते हैं, फिर मुस्कुराते हैं। राम खुद ही रास्ता निकाल लेते हैं। राम सोचते हैं कि मां मुझे राजीवलोचन कहती हैं
राम देवी को अपनी आंख अर्पित करने के लिए तैयार हैं। जैसे ही कटार निकालते हैं, देवी प्रकट हो जाती हैं। देवी राम को जय हो का आशीर्वाद देती हैं। निराला ने राम को पुरुषोत्तम नवीन कहा है।

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